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Garam Guru rochak khulase।पहली बार हुए रोचक खुलासे गर्म गुरू’

पहली बार हुए रोचक खुलासे गर्म गुरू’ बाहरी ग्रह की रात के हिस्से

Garam Guru rochak khulase।पहली बार हुए रोचक खुलासे गर्म गुरू’
Image source - google। image by - gene1970 शोधकर्ता ने गर्म गुरु बाहरी ग्रह  विशेष अध्ययन में उसके हमेशा दिन रहने वाले हिस्से के साथ उसके हमेशा रात रहने वाले हिस्से का अध्यन किया है पहली बार विस्तृत अध्ययन में ग्रहों के दोनों हिस्सों वायुमंडल अध्ययन से ज्ञात होता है उसके वायुमंडल में कोरन्डम और लोहे जैसे उसके वायुमंडल में स्टीम के साथ खनिज के भी बादल है। वैज्ञानिक इसलिए बाहरी ग्रहों का अध्ययन करते हैं की बह ग्रह निर्माण की प्रतिक्रिया को समझ सके। इससे बह ये जान सके कि कौन सी परिस्थितियां होती हैं। किस ग्रह पर जीवन जीने की परिस्थितियां बनती हैं ऐसे प्रयास में कई बार ग्रह निर्माण संबंधित अनोखी जानकारी प्राप्त होती है। ऐसे ही कुछ खगोलीय लोगों को गर्म गुरु वाले बाहरी ग्रह रात वाले हिस्से के अध्ययन में मिला। यह पहली बार किया गया अध्ययन किसी बाहरी ग्रह के वायुमंडल का इतने विस्तार से अध्ययन किया गया है।

इतनी जानकारी मिली पहली बार:-

मैसाचुसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी ने अब तक की सबसे स्पष्ट जानकारी प्राप्त की है जो कि ज्वारीय तारे से बंधे इस ग्रह के रात वाले हिस्से की है। उनकी इन जानकारी में ग्रह के हमेशा ही दिन रहने वाले हिस्से की जानकारी मिलाकर इस ग्रह की वायु मंडल की इतनी विस्तार जानकारी निकाली जा सकी।

अपने तारे की परिक्रमा केवल 30 घंटे:-

नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार WASP-121b गुरु ग्रह के दुगने आकार का ग्रह है. पृथ्वी से 850 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है जो कि यह बहुत ही ज्यादा गर्म है इसकी कक्षा सबसे छोटी कक्षा है अब तक के खोजे गए ग्रहों में से और यह अपने तारों का चक्कर 30 घंटे में लगाता है यह अपने तारों के ज्वारीय तौर पर बंधा हुआ है जिससे एक हिस्से में हमेशा दिन होता है और एक हिस्से में हमेशा रात होती है।

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Image source - google। image by - Lars_Nissen 

10 गुना धुंधला रात का हिस्सा:-

2015 में WASP-121b की खोज हुई थी गर्म गुरु ग्रह अपने चमकीले वाले हिस्से के लिए मशहूर होते हैं। रात वाला हिस्सा उनका बहुत अलग होता है दिन वाले हिस्से की तुलना में 10 गुना धुंधला होता है

खगोलीय विद्वानों ने पहले इस ग्रह पर भाप होने का पता लगाया और दर्शाया कि दिन के हिस्से में ऊंचाई के साथ वायुमंडलीय तापमान में कैसे बदलाव आता है.

खनिज और अन्य लोहे भी:-

5 किलोमीटर प्रतिसेकंड की दर से इस प्रक्रिया में हवा बहती है और यह भी पता लगाया कि पानी भी हवा के साथ पूरे ग्रह में संचारण नहीं करता बल्कि लोहे और कोरन्डम के बादल ठंडे हिस्से में होते हैं।कोरन्डम वह खनिज है जिससे माणिक और नीलम रत्न बनते हैं. दिन के हिस्से में धातुओं की गैस बनाते हैं बादल कि भाप की तरह और रात में कोरन्डम बादलों से यहां तरल रत्नों की बारिश  होती है.

अध्ययन के लिए स्पैक्ट्रोमेट्री का उपयोग  शोधकर्ताओं ने WASP-121b ने किया. इस तकनीकी से खगोलीय विद्वानों ने बाहरी ग्रहों के दिन के हिस्से का अवलोकन करते हैं। रात वाले हिस्से के लिए महीन अवलोकन की जरूरत होती है।शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में WASP-121b के दो पूरी परिक्रमाओं का अवलोकन किया और तापमान का नक्शा बनाया उन्होंने कई प्रतिमान उपकरणों से जांच की और पाया इसके रात वाले हिस्से में लोहे कोरन्डम और टाइटेनियम की मौजूदगी हो सकती है.

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